TAASIR :–NEERAJ -25 SEPT
भागलपुर के लोगों के लिए लंबे समय से चली आ रही हवाई अड्डे की मांग अब पूरी होने की ओर बढ़ रही है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 37,87,800 रुपये की राशि स्वीकृत की है। यह राशि साइट विजिट और पूर्व व्यवहार्यता (फिजिबलिटी) अध्ययन के लिए प्रदान की जाएगी, जिसे सिविल विमानन निदेशालय, पटना द्वारा आवंटित किया जाएगा। एएआइ ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस धनराशि का उपयोग केवल साइट विजिट और पूर्व व्यवहार्यता अध्ययन के लिए किया जाएगा, और किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसका उपयोग नहीं किया जाएगा। इस पहल से भागलपुर क्षेत्र की कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं, और साथ ही भागलपुर हवाई अड्डे के उन्नयन की दिशा में प्रगति की संभावना भी जगी है। भागलपुर जिला प्रशासन ने हवाई अड्डे के संचालन को लेकर तीन स्थानों पर जमीन चिह्नित कर प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें गोराडीह, अकबरनगर और सुलतानगंज शामिल हैं। इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि हवाई अड्डे के निर्माण की दिशा में कार्रवाई में और तेजी आएगी। जिला प्रशासन ने गोराडीह में 379 एकड़, सुलतानगंज-देवघर रोड से पश्चिम और निर्माणाधीन फोरलेन से दक्षिण 855 एकड़, और अकबरनगर-शाहकुंड रोड से पश्चिम और फोरलेन से दक्षिण 833.5 एकड़ जमीन चिह्नित की है। यह जमीन चिह्नित होना उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे यह प्रतीत होता है कि प्रशासन हवाई अड्डे के निर्माण के लिए गंभीर है।हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जमीन चिह्नित होकर भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो जाती, तब तक इस मामले में कोई ठोस भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और इससे संबंधित सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना आवश्यक है ताकि हवाई अड्डे का निर्माण समय पर और सुचारू रूप से किया जा सके।इस विकास से भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी, क्योंकि हवाई परिवहन से व्यवसाय और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय नागरिकों में हवाई अड्डे के निर्माण को लेकर उम्मीद की एक नई लहर देखने को मिल रही है, और वे इसे अपनी आर्थिक संभावनाओं को विस्तार देने का एक महत्वपूर्ण अवसर मानते हैं। अंत में, यह कहा जा सकता है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की इस पहल से भागलपुर में हवाई अड्डे के विकास की संभावनाएं तेज हो गई हैं, और यदि सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी होती हैं, तो यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।