नहाय खाय से छठ महापर्व आरंभ, जानिए इसका महत्व-शुभ मुहूर्त

TAASIR :–NEERAJ – 05, Nov

छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है. इस अवसर पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. महिलाएं इस व्रत को अपनी संतान की सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए करती हैं. छठ पर्व के पहले दिन ‘नहाए खाय’ का आयोजन किया जाता है, जो इस पर्व को मनाने वालों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. नहाय खाय के दिन सूर्योदय सुबह 6:39 बजे और सूर्यास्त शाम 5:41 बजे होगा. इस दिन छठ पूजा करने वाले पुरुष और महिलाएं गंगा नदी में स्नान और ध्यान के बाद सूर्य देव की आराधना करते हैं. इसके पश्चात घर में कद्दू और चने की दाल से भोजन तैयार किया जाता है. नहाय खाय का अर्थ है स्नान के बाद भोजन करना. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इसके बाद वे भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं. यह माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. साथ ही, यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक आहार के माध्यम से खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं. छठ पूजा, जिसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, एक चार दिवसीय त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. वर्तमान में, यह पर्व देश और विदेश में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाने लगा है. छठ पूजा के अवसर पर घाटों पर विशेष चहल-पहल होती है. अनेक लोग पवित्र नदियों के किनारे और अपने घरों में इस पर्व को मनाते हैं. यह पूजा दिवाली के बाद कार्तिक मास के छठे दिन से प्रारंभ होती है और यह सूर्य देवता को समर्पित एक पवित्र उत्सव है, जिसमें उनकी विशेष आराधना की जाती है. इस दौरान भक्त अपने प्रियजनों की समृद्धि, सुख और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करते हैं.