यमन में केरल की नर्स को बड़ा झटका, फांसी की सजा को राष्ट्रपति की मंजूरी, परिवार की हर कोशिश नाकाम

TAASIR :–NEERAJ – 31, Dec

यमन में रह रही भारतीय नर्स को फांसी की सजा सुनाई गई थी. उसका परिवार लगातार कोशिश में लगा हुआ था लेकिन सफलता हासिल नहीं हो सकी. अब यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने भी नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा को मंजूरी दे दी है. न ही ब्लड मनी पर बात बन सकी और न ही राष्ट्रपति से माफी मिल पाई. निमिषा एक यमन के नागरिक की हत्या की दोषी है और साल 2017 से जेल की सजा काट रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसकी फांसी की सजा पर एक महीने के भीतर अमल किया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि भारत को यमन में निमिषा प्रिया को दी जा रही सजा की जानकारी है.  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक बयान जारी कर कहा, “हम जानते हैं कि नर्स प्रिया के परिवार को  विकल्प की तलाश है. सरकार इस मामले में उनकी हर संभव मदद कर रही है.”  यमन के राष्ट्रपति का फैसला उस परिवार के लिए एक झटका है, जो अपनी 36 साल की बेटी को मौत की सज़ा से बचाने की कोशिश कर रहा था. नर्स प्रिया की 57 साल की मां प्रेमा कुमारी इस साल की शुरुआत में यमन की राजधानी सना पहुंची थीं. वह तब से कथित तौर पर बेटी की मौत की सजा में छूट पाने और पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत कर रही थीं. निमिषा प्रिया की मां प्रेमा कुमारी ने लगातार पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी पर बातचीत करने की कोशिश की. मनोरमा ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक,लेकिन सितंबर में भारतीय दूतावास द्वारा नियुक्त वकील अब्दुल्ला अमीर द्वारा पूर्व-बातचीत फीस  20,000 डॉलर (लगभग 16.6 लाख रुपये) की मांग के बाद पीड़ित परिवार के साथ बातचीत अचानक रुक गई थी. विदेश मंत्रालय ने जुलाई में वकील अमीर को 19,871 डॉलर पहले ही मुहैया करवा दिए थे.  लेकिन वह फीस के तौर पर कुल 40,000 डॉलर की मांग पर अड़े थे, जो कि बातचीत फिर से शुरू करने से पहले दो किस्तों में देनी थी. द सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल क्राउडफंडिंग के जरिए वकील अमीर की फीस की पहली किस्त तो जुटा ली गई. लेकिन बाद में फंड देने वालों के सामने पारदर्शिता से जुड़ी चुनौतियां खड़ी हो गईं. निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ की रहने वाली हैं. वह पेशे से नर्स हैं. उन्होंने कुछ साल तक यमन के प्राइवेट अस्पतालों में काम किया. उनके पति और नाबालिग बेटी फाइनेंशियल कारणों से साल 2014 में भारत वापस आ गए थे. उसी साल यमन गृह युद्ध की चपेट में आ गया, जिसकी वजह से नए वीजा जारी करना बंद हो गया और दोनों ही निमिषा के पास वापस नहीं जा सके.  साल 2015 में निमिषा प्रिया ने सना में अपना क्लिनिक बनाने के लिए अपने साथी तलाल अब्दो महदी से मदद मांगी थी, क्योंकि यमन के कानून के मुताबिक, सिर्फ वहां के नागरिकों को ही क्लिनिक और व्यावसायिक फर्म बनाने की परमिशन मिलती है.लेकिन दोनों का झगड़ा हो गया था. नर्स के परिवार का कहना है कि अब्दो ने फंड में हेराफेरी की थी. निमिषा ने इसका विरोध किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब्दो ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उसकी शादी की तस्वीरें भी चुरा ली थीं. वह तस्वीरों में हेरफेर कर नर्स से शादी का दावा कर रहा था.