जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए टीएमसी नेताओं का दावा- पाकिस्तान की फायरिंग में पहलगाम हमले से ज्यादा लोग मारे गए

TAASIR :–NEERAJ –22, May

ऑपरेशन सिंदूर के बाद तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर है. यह प्रतिनिधिमंडल 23 मई तक जम्मू-कश्मीर के उन अलग-अलग इलाकों का दौरा कर रहा है, जहां पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी में रिहायसी इलाकों को नुकसान पहुंचा है. इसी सिलसिले में जम्मू-कशमीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात के बाद टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री नें हमे सीमावर्ती इलाकों और यहां रहने वाले लोगों की कठिनाइयों के बारे में बताया. मुख्यमंत्री ने उन्हें पुंछ, राजौरी और उरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से जो भी फायरिंग हुई, उसमें पहलगाम हमले से भी ज्यादा लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि सीएम उमर अब्दुल्ला ने हमें बताया है कि पाकिस्तान की सीमा पार से हो रही गोलाबारी में इन इलाकों में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई है. इन सीमावर्ती इलाकों में काफी नुकसान पहुंचा है. हर एक जीवन कीमती होती है और इसकी रक्षा करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है. सरकार नागरिकों की सुरक्षा को लेकर लगातार ठोस कदम उठा रही है. उन्होंने आगे कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के चलते जवाबी कार्रवाई में रिहायसी इलाकों में जो नुकसान पहुंचा है, सरकार उसे दुरुस्त कराएगी. सागरिका घोष ने कहा कि इस दौरान जिन लोगों की जानें गई हैं उनके प्रति हम सभी की शोक संवेदनाएं हैं. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने हमें भरोसा दिलाया है कि सरकार मृतकों के परिजनों को मुआवजा सहित मेडिकल सेवाओं और स्कूलों के पुनर्निर्माण पर काम कर रही है. तृणमूल कांग्रेस संघवाद का समर्थन करती है. हमें जम्मू-कश्मीर की सरकार पर पूरा भरोसा है. टीएमसी का यह प्रतिनिधिमंडल ऐसे समय में जम्मू-कश्मीर पहुंचा है जब केंद्र और राज्य सरकार के बीच कई संवेदनशील मुद्दों को लेकर राजनीतिक चर्चा जारी है. ऐसे समय में यह दौरा खास अहमियत रखता है, जहां इसमें न केवल एकता और सहानुभूति का संदेश दिया जा रहा है, बल्कि यह भी दिखाया जा रहा है कि एक राज्य से दूसरे राज्य के नेता मिलकर जमीनी मुद्दों को समझने और समाधान का प्रयास कर रहे हैं. सागरिका घोष ने कहा कि वे लौटने के बाद वे अपने अनुभव को पार्टी नेतृत्व के सामने रखेंगी ताकि सीमा क्षेत्रों की समस्याएं राष्ट्रीय स्तर पर उजागर हो सकें और इनके स्थायी समाधान की दिशा में कदम उठाए जा सकें.