उपचुनाव की जीत से केजरीवाल को मिली संजीवनी, गुजरात-पंजाब में आम आदमी पार्टी ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन

TAASIR :–NEERAJ –24, JUNE

देश के चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आम आदमी पार्टी के लिए किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है. अरविंद केजरीवाल के हाथों से दिल्ली की सत्ता निकल जाने से आम आदमी पार्टी हताश और निराश हो गई थी, लेकिन उपचुनाव में दो सीटें उसके हिस्से में आई है. पंजाब और गुजरात उपचुनाव में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की है, उसने कांग्रेस की राजनीतिक टेंशन बढ़ा दी है. दो साल के बाद गुजरात और पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी हो सकती है? दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता और अपनी सीट गंवाने के बाद से कयास लगाए जाने लगे थे कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति खत्म हो गई, क्योंकि दिल्ली मॉडल के जरिए आम आदमी पार्टी की राजनीति सियासी परवान चढ़ी थी. यही वजह थी कि दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद केजरीवाल की सियासत पर सवाल खड़े हो रहे थे, लेकिन चार महीने के बाद उपचुनाव में दो सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी कमबैक करने में कामयाब रही है. ये अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी दोनों के लिए सियासी संजीवनी मानी जा रही है. पंजाब के लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव आम आदमी पार्टी जीतने में सफल रही है. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा को 35179 मत हासिल हुए तो कांग्रेस के भारत भूषण आशु को 24542 वोट मिले. संजीव अरोड़ा 10637 वोटों से जीत दर्ज कर विधायक बन गए हैं. इस तरह से आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से लुधियाना पश्चिम सीट पर अपना दबदबा बनाए रखने में सफलता हासिल की है, जो कांग्रेस के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है. वहीं, गुजरात की कादी और विसावदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कादी सीट बीजेपी और विसावदर सीट आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही है. विसावदर सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी गोपाल इटालिया को 75942 वोट मिले और बीजेपी के किरीट पटेल को 58388 वोट मिले. आम आदमी पार्टी यह सीट 17554 वोट से जीतने में सफल रही है. 2022 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के भूपेंद्र भाई भयानी विधायक चुने गए थे, लेकिन बीजेपी का दामन थाम लेने के चलते उपचुनाव हुए थे. इसके बाद भी बीजेपी उपचुनाव में आम आदमी पार्टी से नहीं जीत सकी. दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद उपचुनाव में पांच में से दो सीटें जीतना आम आदमी पार्टी के लिए किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है. लुधियाना पश्चिम सीट जीतकर आम आदमी पार्टी ने 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मजबूत सियासी आधार रखा है. इसी तरह से गुजरात की विसावदर उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए अपने साख का सवाल बना हुआ था, जिसे जीतकर अपना दबदबा को बनाए रखने में सफल रही है. यही नहीं आम आदमी पार्टी के विधायक को अपने साथ मिलाने के बाद भी बीजेपी यह सीट नहीं जीत सकी. इन दोनों सीटों पर जीत आम आदमी पार्टी के लिए संजीवनी मानी जा रही है जो कि आगे के चुनाव में एनर्जी देने का काम करेगी.