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हाई कोर्ट ने विधवा को आठ सप्ताह में अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का दिया निर्देश

Written by Taasir Newspaper
TAASIR HINDI NEWS NETWORK ABHISHEK SINGH

रांची, 30 जुलाई

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक की कोर्ट में शनिवार को शिवचरण सिंह की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने को लेकर विधवा लक्ष्मी सिंह की रिट याचिका पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने प्रार्थी लक्ष्मी की याचिका को स्वीकृत करते हुए आठ सप्ताह में अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

कोर्ट ने कहा कि शिवचरण की मृत्यु के पहले उनकी नौकरी में पुन: बहाली हो चुकी थी लेकिन विभागीय अधिकारियों के विलंब की वजह से विधिवत तरीके से उसकी बहाली करने का आदेश नहीं निकला था। इसलिए जिस तिथि को शिवचरण की मृत्यु हुई थी, उस तिथि को वह नौकरी पर समझा जायेगा। कोर्ट ने मामले को निष्पादित करते हुए लक्ष्मी को बहाल करने का आदेश सरकार को दिया। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने पैरवी की।

दरअसल, राज्य सरकार ने विज्ञापन संख्या 1/2015 के आधार पर 269 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। इसके आधार पर रसोइया, जलवाहक, नाई, स्वीपर के पद पर नियुक्ति हुई थी। शिवचरण की रसोइया पद पर नियुक्ति हुई थी। इसके दो माह बाद 23 जून, 2016 को राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन निकालकर 269 लोगों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ शिवचरण एवं अन्य लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश जिससे उनकी नियुक्ति रद्द हुई थी, उसे निरस्त करते हुए हटाये गये सभी लोगों को फिर से नौकरी पर रखने का आदेश दिया था लेकिन संबंधित विभाग ने कोर्ट के इस आदेश का अनुपालन नहीं किया। इसके बाद शिवचरण सहित अन्य प्रार्थियों ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसके अदालत में लंबित रहने के दौरान 21 दिसंबर, 2020 को शिवचरण की मृत्यु हो गयी।

बाद में सरकार ने 22 जनवरी, 2021 को एक नोटिफिकेशन के द्वारा नौकरी से हटाये गये शिवचारण सहित सभी 269 लोगों को वापस नौकरी पर ले लिया। इसके बाद शिवचरण की विधवा लक्ष्मी ने विभागीय अधिकारियों के पास अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिये आवेदन दिया लेकिन उसके इस आवेदन को यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया गया कि जिस तिथि को शिवचरण की मृत्यु हुई थी, उसे तिथि पर हटाये जाने के कारण वह नौकरी पर नहीं थे। इसके बाद लक्ष्मी ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। मामले में कोर्ट ने आठ जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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