वित्त मंत्री कैलाश गहलोत पहली बार सदन पटल पर बजट का प्रस्ताव रख रहे हैं। केंद्र सरकार से बजट को मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार एक दिन देरी से अपना बजट पेश कर रही है। खेल परिसरों का भी निर्माण किया जाएगा। 16575 करोड़ का बजट शिक्षा क्षेत्र के लिए। इस तरह दिल्ली सरकार ने इस बार कुल बजट का 21 प्रतिशत बजट शिक्षा के लिए प्रस्तावित किया है। देश में पहली बार स्कूल और उद्योग मिलकर काम करेंगे। इन स्कूलों के बच्चों को अपना कौशल दिखाने के लिए अवसर मिलेंगे। 12 नए एप्लाइड लर्निंग स्कूल शुरू किए जाएंगे, 9वीं से मिलेगा दाखिला। सभी टीचर, प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल व अन्य टीचिंग स्टाफ को नए टैबलेट उपलब्ध कराएंगे। आने वाले साल में 37 डॉ. आंबेडकर एक्सीलेंस स्कूल बनाएंगे। ये सभी दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल से एफिलिएटेड होंगे। इन स्कूलों के बच्चों को फ्रेंच, जर्मन जापानी भाषा भी पढ़ा रहे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने बोर्ड में 98 प्रतिशत रिजल्ट आया। बिजनेस ब्लास्टर्स कार्यक्रम के तहत 56 छात्रों ने पहले बैच में अपनी उद्यमिता साबित करते हुए बीबीए और बीसीए जैसे कोर्स में सीधा दाखिला लिया। देशभक्ति पाठ्यक्रम भी छात्रों को देशभक्ति के लिए प्रेरित कर रहा है। 160 बच्चे दिल्ली के पहले आर्म्ड फोर्स स्कूल में पढ़ रहे हैं जो जल्द ही सेनाओं में भर्ती होंगे। दिल्ली सरकार का शिक्षा का मॉडल स्कूल की बिल्डिंग बनाने और अच्छे नंबर लाने से कहीं आगे निकल चुका है। हमने सबसे ज्यादा बजट शिक्षा को दिया। न्यू यॉर्क टाइम्स ने भी स्कूलों की सफलताओं को प्रकाशित करेगा कोई सोच भी नहीं सकता था। 2022-23 का पहला एकेडमिक सेशन कोविड के बाद रहा जो सामान्य रूप से चला। कूड़े के तीनों पहाड़ों का दो साल में अंत सुनिश्चित करेंगे। दिसंबर 2024 गाजीपुर लैंडफिल, मार्च 2024 भलस्वा लैंडफिल का अंत सुनिश्चित करेंगे। कैलाश गहलोत ने शायरी में कहा, जो कामयाबी हासिल करने का जूनून रखते हैं वो समुंदर पर भी पत्थर का पुल बना देते हैं। दिल्ली के हर को सीवर से जोड़ने का अभियान है। घरों को सीवर सुविधा मुफ्त दी जाएगी। यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाई जाएगी, करीब 41 परसेंट क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य। दिल्ली की सभी सड़कों के गड्ढे भरे जाएंगे, लेन मार्किंग होगी, ट्रैफिक लाइट शानदार बनेंगे, लेन मार्किंग को फीका नहीं पड़ने देंगे। कैलाश गहलोत ने आगे कहा, पीडब्ल्यूडी की सभी सड़कें अंतरराष्ट्रीय स्तर की होंगी, वह टूटी नहीं होंगी। सड़कों की 10 साल तक देख रेख व रखरखाव संबंधित ठेकेदार करेगा। पीडब्ल्यूडी की 14 सौ किलोमीटर लंबी सड़कें हैं। कैलाश गहलोत ने केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली को कम बजट अंशदान देने का मुद्दा उठाया। गहलोत ने कहा कि दिल्ली को सिर्फ 325 करोड़ रुपये केंद्र की ओर से मिल रहे है। जबकि अन्य राज्यों के शेयर के हिसाब से दिल्ली का हिस्सा 66 हजार करोड़ रुपये बनता है। पिछले एक साल से केंद्र ने दिल्ली का 325 करोड़ रुपये का हिस्सा भी खत्म कर दिया है। जबकि दिल्ली केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष 1.75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व देती है।