सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है.राहुल के इस बयान से जुड़े मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12.30 बजे राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन 27 मिनट बाद जमानत दे दी। सजा के 26 घंटे बाद शुक्रवार को उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई। 23 घंटे बाद शनिवार को राहुल, प्रियंका के साथ कांग्रेस ऑफिस पहुंचे और 28 मिनट मीडिया से बातचीत की। हिन्दुस्तान का लोकतंत्र खतरे में है राहुल ने इसी लाइन के साथ अपनी बात की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने सवाल किया- अडाणी और मोदी का रिश्ता क्या है? उन्होंने केंब्रिज यूनिवर्सिटी में लोकतंत्र पर कही अपनी बात और सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है. वाले बयान पर सफाई भी दी। राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 16 बार मोदी जी, 9 बार प्रधानमंत्री और 38 बार अडाणी का नाम लिया। उन्होंने आगे का प्लान भी बताया। आप शहीदों के परिवार से आते हैं। आपकी दादी भी डिस्क्वालिफाई हुईं। जनता के बीच गईं। सत्ता में वापस आईं। आज के दौर में राहुल भी डिस्क्वालिफाई हो गए हैं। आपने तमाम मुद्दे उठाए। चीन का मुद्दा उठाया। क्या राहुल गांधी भी जनता के बीच में जाएंगे। और वही वापसी फिर से करेंगे? राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में साढ़े चार महीने जनता के बीच रहे। ये मेरा काम है और करता जाऊंगा। आज के हिंदुस्तान में जो पहले राजनीतिक पार्टियों को सपोर्ट मिलती थी। मीडिया और बाकी संस्थानों से मिलती थी। अब नहीं मिलती है। तो विपक्षी पार्टियों के पास एक ही रास्ता है। जनता के बीच में जाने का। आप मेरी भारत जोड़ो यात्रा में मेरी कोई भी स्पीच देख लीजिए। मैं वहां कह रहा हूं कि सब समाज एक है। सबको एक साथ चलना चाहिए। भाई चारा होना चाहिए। नफरत, हिंसा नहीं होनी चाहिए। ये OBC का मामला नहीं है, ये नरेंद्र मोदीजी और अडाणीजी के रिश्ते का मामला है। 20 हजार करोड़ रुपए, जो अडाणी जो को पता नहीं कहां से मिले। उसके बारे में मैं सवाल पूछ रहा हूं। उसका जवाब चाहिए। भाजपा ध्यान को भटकाने की कोशिश करती है। कभी OBC की बात करेगी, कभी विदेश में दिए बयान की बात करेगी। चाहे स्टेट हो कुछ भी हो। मैं सच्चाई को देखता हूं। मुझे और किसी चीज में रुचि नहीं है। मैं सच्चाई बोलता हूं। राजनीति में यह फैशनेवल बात नहीं है। मगर ये बात मेरे खून में है। मैं और कोई रास्ता निकाल ही नहीं सकता हूं। तो ये मेरा काम है। यही मेरी तपस्या है। जीवन की तपस्या है। इसे मैं करता जाऊंगा। चाहे मुझे डिस्क्वालिफाई करें। मारें-पीटें। चाहे जेल में डालें। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस देश ने मुझे सबकुछ दिया है। वायनाड के लोगों के साथ मेरा पारिवारिक रिश्ता है। फैमिली और प्यार का रिश्ता है। मैंने सोचा कि मैं वायनाड के लोगों के लिए चिट्ठी लिखूं कि मेरे दिल में उनके लिए क्या है। मुझे उम्मीद में कोई इंटरेस्ट ही नहीं है। चाहे मुझे सदस्यता मिले, ना मिले, मैं अपना काम करूंगा। अगर ये मुझे स्थायी रूप से डिसक्वालिफाई कर दें, तो भी मैं अपना काम करूंगा। चाहे ये मुझे बहाल करे दें, तो भी मैं अपना काम करूंगा। मैं संसद के अंदर हूं या बाहर, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे अपनी तपस्या करनी है, वो मैं वो करके दिखाऊंगा।