बदहाल पाकिस्तान की एयरलाइंस कंपनियां हुई दिवालिया, कई विमानों का संचालन ठप, ईंधन खरीदने के पड़े लाले

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 बदहाल पाकिस्तान की एयरलाइंस कंपनियां हुई दिवालिया, कई विमानों का संचालन ठप, ईंधन खरीदने के पड़े लाले
लाहौर, 16 सितंबर 

आर्थिक बदहाली के हालात से जूझ रहे पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है। इन एयरलाइंस कंपनियों के पास ईंधन खरीदने तक के पैसों की कमी हो रही है।
सरकारी एयरलाइंस ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि बेड़े को कुछ दिनों के भीतर खड़ा किया जा सकता है, क्योंकि उसे बिल और वेतन का भुगतान करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकारी स्वामित्व वाली पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के प्रवक्ता अब्दुल्ला हफीज ने कहा कि कंपनी राजकोष से तत्काल वित्तीय मदद मांग रही थी, लेकिन फिलहाल धन मुहैया नही कराया गया है।
दशकों के कुप्रबंधन और अस्थिरता ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को डगमगा दिया है, और इस साल इस्लामाबाद को डिफॉल्ट से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा।
हफीज ने कहा कि गुरुवार को तीन उड़ानें रोक दी गईं और वेतन का भुगतान भी देर से किया गया। उन्होंने कहा, 31 के बेड़े में से 25 विमान अभी भी उड़ान भर रहे हैं, अन्य को निर्धारित या अनिर्धारित रखरखाव के लिए रोक दिया गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार एयरलाइंन ढहने की कगार पर है और अगर आपातकालीन धन उपलब्ध नहीं कराया गया तो कुछ ही दिनों में उड़ान संचालन निलंबित किया जा सकता है। ब्लूमबर्ग ने बताया कि पीआईए पर 743 अरब रुपये (लगभग 2.5 अरब डॉलर) की देनदारियां थीं, जो उसकी कुल संपत्ति से पांच गुना अधिक है।
पीआईए 1955 में अस्तित्व में आया जब सरकार ने घाटे में चल रही एक वाणिज्यिक एयरलाइंन का राष्ट्रीयकरण किया और 1990 के दशक तक तेजी से विकास किया। बाजार के उदारीकरण और कई निजी और सार्वजनिक स्वामित्व वाली एयरलाइनों के लॉन्च ने पीआईए पर भारी दबाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप वर्षों तक घाटे में रहना पड़ा।
एयरलाइंन की प्रतिष्ठा को हमलों, अपहरणों और दुर्घटनाओं की एक श्रृंखला से भी नुकसान हुआ है। जिसमें मई 2020 में कराची में एक एयरबस की दुर्घटना भी शामिल है जिसमें 97 यात्रियों और चालक दल की मौत हो गई थी। सरकार की एयरलाइंस को बेचने की योजना है, लेकिन अभी तक उसने विशेष समितियों द्वारा निजीकरण के लिए रखे गए कम से कम दो प्रस्तावों पर कार्रवाई नहीं की है।