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डेंगू में बकरी का दूध पीना बन सकता है नई परेशानी का कारण : डॉ. राहुल
बेगूसराय, 18 अक्टूबर
बेगूसराय जिले में शहर लेकर गांव तक डेंगू का कहर चरम पर है। रोज डेंगू के नए मरीज सामने आ रहे हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार अब तक 438 लोग डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि गैर सरकारी आंकड़ा के अनुसार प्रभावित की संख्या दो हजार से अधिक है।
सोशल मीडिया साइट को देखकर डेंगू प्रभावित लोग बड़े पैमाने पर बकरी का दूध उपयोग करने लगे हैं। इससे बकरी के दूध के लिए मारामारी मच गई तथा दो हजार लीटर तक दूध बिक रहा है। हालांकि बकरी का दूध पीने से डेंगू ठीक होने का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। चर्चित फिजिशियन डॉ. राहुल कुमार ने लोगों से डेंगू में बकरी का दूध नहीं देने की अपील किया है।
डॉ. राहुल कुमार ने आज बताया कि डेंगू के इलाज में बकरी के दूध पीने से कोई लाभ हुआ है। इसका साइंटिफिक स्टडी से कोई प्रमाण नहीं मिला है, मेडिकल साइंस की कोई बुक, कोई जर्नल या कोई गाइड लाइन यह रिकमेंड नहीं करती है। कई बार मरीज इसको पीकर उल्टी, गैस एवं पेट की समस्या आदि लेकर आते हैं, मुश्किल और अधिक बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि डेंगू एक वायरल बीमारी है, इसमें प्लेटलेट और डब्लूबीसी काउंट का कम होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। पुनः समय के साथ प्लेटलेट भी बढ़ने लगता है और डब्लूबीसी काउंट भी, यह बढ़ना भी एक स्वाभाविक क्रिया है। बहुत से लोग डेंगू का नाम सुनते ही बकरी का दूध पीने लगते हैं और फिर जब एक-दो दिन बाद जांच कराते तो उनका प्लेटलेट बढ़ जाता है।
इससे यह धारणा मजबूत होती कि बकरी के दूध से बढ़ गया। लेकिन ऐसा नहीं है, यह नेचुरल बढ़ना है, नहीं पीते तब भी बढ़ता है। क्योंकि प्लेटलेट का निर्माण बोन मेरो में होता है। बुखार के तीसरे दिन से प्लेटलेट कम होना शुरू होता है। पांचवें और छठे दिन तक कम रहता है। 40 हजार तक चला जाता है, किसी किसी में 20 हजार तक भी जाता है।
डॉ. राहुल कुमार ने बताया कि घटा हुआ प्लेटलेट फिर सातवें दिन से धीरे धीरे बढ़ने लगता है तथा यह दो सप्ताह में सामान्य हो जाता है। डेंगू की अलग से कोई दवा नहीं होती है, सपोर्टिव दवाओं से लक्षण के अनुसार इलाज किया जाता है। इसलिए अनावश्यक बकरी के दूध के पीछे नहीं पड़ें। क्योंकि ऐसा करना अलग परेशानी का कारण बन सकता है।