TAASIR HINDI NEWS NETWORK ANWAR
नई दिल्ली, 9 नवंबर
पश्चिम बंगाल में सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज होने के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकार की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सामान्य सहमति वापस ले ली है। इसके बावजूद सीबीआई मुकदमा दर्ज कर देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई एक स्वतंत्र जांच एजेंसी है। इन मामलों को दर्ज करने में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले को स्वीकार कर लेता है तो कई आदेशों को रद्द करना होगा। ऐसा करना जांच के लिए केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के आदेश पर सवाल उठाना होगा।
सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि हम जांच में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। जब राज्य सरकार ने अपनी सामान्य सहमति को पहले ही वापस ले लिया है तब क्या सीबीआई के पास इसकी शक्ति है कि वो एफआईआर दर्ज करे। ऐसा कर सीबीआई देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रही है। कोर्ट के आदेश के द्वारा दर्ज मामलों के अलावा सीबीआई ने कई मामले दर्ज कर लिए हैं। प्रमुख मसला उन मामलों का है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 6 सितंबर 2021 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका में कहा गया है कि कानून और व्यवस्था और पुलिस को संवैधानिक रूप से राज्यों के विशेष अधिकार क्षेत्र में रखा गया है। सीबीआई की ओर से मामले दर्ज करना अवैध है। ये केंद्र और राज्यों के बीच संवैधानिक रूप से वितरित शक्तियों का उल्लंघन है।