TAASIR :–NEERAJ -14 SEPT
कर्नाटक के यादगीर जिले में 50 दलित परिवार कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं. पिछले एक महीने से उनको सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है.जिसकी वजह से वह रोजमर्रा का सामान भी नहीं खरीद पा रहे हैं. वजह यौन उत्पीड़न का आरोप वापस न लेना है. दरअसल एक नाबालिग दलित बच्ची के परिवार ने 23 साल के उच्च जाति के लड़के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप वापस लेने से इनकार कर दिया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि 15 साल की लड़की 23 साल के उस लड़के के साथ रिश्ते में थी. लड़के ने शादी के बहाने उसका यौन उत्पीड़न किया, जिसकी वजह से वह प्रेग्नेंट हो गई. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, लड़की पांच महीने की गर्भवती थी, तब उसने अपने माता-पिता को पूरी बात बताई. लड़की के परिवार ने उस शख्स से वादे के मुताबिक शादी करने को कहा, तो लड़के ने मना कर दिया. जिसके बाद नाबालिग के माता-पिता ने 12 अगस्त को पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज करवा दिया. शिकायत के बाद उच्च जाति के लोगों ने नाबालिग के माता-पिता को बातचीत के लिए बुलाया. लेकिन लड़की के माता-पिता मामले में कार्रवाई चाहते थे. जिसके बाद आरोपी लड़के को 13 अगस्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.उच्च जाति के नेता इस बात से इतने नाराज हो गए कि उन्होंने गांव के दलित परिवारों का बहिष्कार कर दिया. बेंगलुरु से करीब 500 किमी दूर यादगीर के बप्पारागा गांव की दो कॉलोनियों में करीब 250 दलित लोग रहते हैं, जिनका कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार कर दिया है. दलितों को किराने और स्टेशनरी की दुकानों, मंदिरों, सैलून और सार्वजनिक जगहों तक जाने नहीं दिया जा रहा है. बहिष्कार के आह्वान का एक कथित ऑडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.यहां तक कि दलित परिवारों के बच्चे स्कूल के लिए पैंसिल और किताबें तक नहीं खरीद पा रहे हैं. 13 अगस्त को चंद्रशेखर हनमंताराय की पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तारी के बाद कथित तौर पर उच्च जाति के बुजुर्गों ने दलितों के बहिष्कार का ऐलान किया. हालांकि यादगीर की एसपी संगीता ने गांव में किसी भी तरह की अशांति के कोई भी सबूत होने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि स्थिति सामान्य है. उन्होंने गांव वालों ने बहिष्कार जैसे अमानवीय बर्ताव को रोकने की अपील की. जिसके बाद वे लोग उनकी बात मान गए.