गुजरात पाकिस्तान बॉर्डर के पास बन रहा एयरफील्ड, भारतीय वायु सेना को ऐसे मिलेगी ताकत

                TAASIR :–NEERAJ – 02, Oct

भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर एक नया एयरबेस बनाने जा रहा है जिसका नाम डीसा एयरफील्ड है. यह पाकिस्तानी सीमा से महज 130 KM दूर है, हमारे फाइटर जेट जरुरत पड़ने पर यहां से कैसा भी हमला कर सकते हैं. एयरफील्ड डीसा को गुजरात के बनासकांठा में बनाया जाएगा. यह वायुसेना का 52वां स्टेशन होगा, जिसे भारत की पश्चिमी सीमा पर बनाया जाएगा. यह एयरफील्ड देश की सुरक्षा और इलाके के विकास के लिए काफी अहम साबित होने वाला है. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने डीसा एयरबेस पर मौजूद रनवे का सर्वे किया, जिसे ओब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे के रूप में जाना जाता है. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस सर्वे का काम सिंगापुर की एक निजी कंपनी को सौंपा है. सिंगापुर से डीए-62 प्रकार का एक छोटा विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचा. इस सर्वे की रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी जाएगी, जिसके जरिए पूरे एयरपोर्ट का नक्शा तैयार किया जाएगा. इस एयरबेस के निर्माण कार्य के लिए 4,519 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. इसे बनाने में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. वहीं रनवे 394 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा. यहां आगे चलकर वायुसेना पश्चिमी सीमा पर किसी भी तरह के ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है. चाहे वह जमीन पर हो या फिर समुद्र में हो और इस तरह यह पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी तरह के जरूरी हवाई सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा. ताकि अहमदाबाद और वडोदरा जैसे अहम आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से बचाया जा सके. इसे कांडला पोर्ट और जामनगर रिफायनरी से पूर्व की दिशा में बनाया जा रहा है. यह वायुसेना के कमांड का काफी रणनीतिक एयरबेस होगा. क्योंकि इसकी मदद से गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र तीनों की सुरक्षा की जा सकेगी. इसके बनने से भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स की पावर और रेंज बहुत बढ़ जाएगी. यही नहीं इसके बन जाने के बाद भारतीय वायुसेना के बाकी पड़ोसी बेस को भी लाभ होगा. उदाहरण के तौर पर गुजरात में मौजूद भुज और नलिया, राजस्थान में मौजूद जोधपुर, जयपुर और बाड़मेर ये सब आपस में कॉर्डिनेट कर सकेंगे. साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था. डीसा एयरफील्ड को मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज बनाएगी. फिलहाल डीसा एयरफील्ड पर एक रनवे है. यह करीब 1000 मीटर लंबा है. इस पर अभी सिविलियन और चार्टर एयरक्राफ्ट आते हैं या फिर VVIP मूवमेंट्स के दौरान हेलिकॉप्टर उतरते हैं. फर्स्ट फेज में इस एयरबेस पर रनवे, टैक्सीवे और एयरक्राफ्ट हैंगर्स बनाए जाएंगे. इसके बाद दूसरे फेज में बाकी टैक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए जाएंगे. एयरबेस पर स्मार्ट फेंसिंग की जाएगी. ग्राउंड वाटर रीचार्जिंग होगी, सेंसर आधारित लाइट्स होंगी. सोलर इलेक्ट्रिसिटी फार्म्स भी होंगे.