TAASIR :–NEERAJ – 21, Oct
जम्मू कश्मीर के गांदरबल में बीती रात आतंकी हमला हुआ। अंधाधुंध फायरिंग में 7 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में डॉक्टर और मजदूर शामिल हैं। 2 बंदूकधारियों ने एक निर्माण स्थल पर काम कर रहे मजदूरों पर गोलियां बरसाईं। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन दि रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा की ही शाखा है। आतंकी हमला उस शहर में हुआ है, जो प्रदेश के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पुश्तैनी विधानसभा सीट है। पुलिस महानिरीक्षक वीके बिरदी ने आतंकी हमले की पुष्टि की है। इस विधानसभा सीट से उमर अब्दुल्ला के दादा शेख अब्दुल्ला और उसके बाद उनके पिता फारूक अब्दुल्ला चुनाव जीतकर विधायक रह चुके हैं। आतंकी हमले में मरने वालों में कश्मीरी डॉक्टर, मजदूर और श्रीनगर-लेह नेशनल हाईवे पर टनल के निर्माण कार्य में लगे कर्मचारी शामिल है। मरने वाले लोग 3 राज्यों के निवासी हैं। मरने वालों की शिनाख्त बिहार निवासी सेफ्टी मैनेजर फहिमन नसीन, बिहार निवासी ताहीर एंड संस कंपनी के कर्मचारी मोहम्मद हनीफ और कलीम, मध्य प्रदेश निवासी मैकेनिकल इंजीनियर अनीफ शुक्ला, कश्मीर निवासी डॉ शहनवाज और गुरमीत सिंह के रूप में हुई। यह आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर में 9 जून 2024 को रियासी में हुए आतंकी हमले के बाद सबसे घातक हमला था। उस समय आतंकियों ने वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं की बस पर फायरिंग की थी, जिसमें 9 तीर्थयात्री मारे गए थे और देशभर में इस हमले की निंदा हुई थी। पुलिस महानिरीक्षक वीके बिरदी ने बताया कि आतंकियों द्वारा की गई फायरिंग में घायल हुए लोगों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वे दम तोड़ चुके थे। हमला घने जंगल वाले इलाके में हुआ, लेकिन सुरक्षा बल तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए और इलाके की घेराबंदी कर दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने एक्स पर लिखा कि जम्मू-कश्मीर के गगनगीर में नागरिकों पर किया गया नृशंस आतंकी हमला कायरतापूर्ण घृणित कृत्य है। इस जघन्य कृत्य में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें हमारे सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यह हमला जम्मू-कश्मीर में पहली बार नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद हुआ है। 2019 में प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया गया था और अनुच्छेद 370 के तहत इसका विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था।