नई दिल्ली, 03 नवंबर
हमारा देश हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई की एकता के बल पर चलेगा ना कि नफरत और बंटवारे की राजनीति से चलेगा। हमारे देश की दुनिया में जो पहचान है, वही पहचान हमेशा बरकरार रहेगी। भारतीय जनता पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करके देश में नफरत और भेदभाव की राजनीति करने के बजाय उसमें सुधार लाना चाहिए।
यह विचार जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित संविधान संरक्षण सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। मौलाना ने कहा कि हमारे देश के लोगों ने लोकसभा चुनाव में नफरत की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी को हाराने का काम किया था। अगर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की बैसाखियों का सहारा नहीं मिलता तो भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने में कामयाब नहीं होती। उन्होंने कहा कि आखिर क्या वजह थी कि 2014 में जिस बहुमत से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई थी, 2024 में उस पार्टी की हालत सत्ता के करीब पहुंचने से रह गई थी। हमारे देश के शांतिप्रिय लोग देश में अमन और शांति चाहते हैं, वह नफरत और भेदभाव और बंटवारे की राजनीति से दूर रहना चाहते हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों पर कब्जा करने की सोची समझी रणनीति के तहत लाया गया है। यह वक़्फ़ विधायक हमें किसी भी स्थिति में कबूल नहीं है, हम इसका हर स्तर पर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक मैं कई ऐसी बातें शामिल की गई है, जिससे सरकार की मंशा उजागर होती है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार के जरिए समान नागरिक संहिता लागू किए जाने के फैसले का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में मौजूद विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, समुदायों व आदिवासियों के मौजूद रहते हुए एक समान नागरिक संहिता को किसी भी सूरत में लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आप किसी को किसी के धर्म, संस्कृत, भाषा रीति रिवाज से अलग कैसे कर सकते हैं, जबकि संविधान ने सभी को संरक्षण दिया है।
इस मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने भी केंद्र सरकार से पैगंबर मोहम्मद साहब सहित अन्य धर्मों के धर्मगुरुओं और सम्मानित व्यक्तियों के खिलाफ की जाने वाली अभद्र टिप्पणी या बेअदबी आदि करने के खिलाफ सख्त कानून लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश में इस तरह की हरकतों को रोकने के लिए कड़ा कानून नहीं लाया जाता, तब तक सभी धर्मों के धर्मगुरुओं, पैगंबरों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने का सिलसिला खत्म नहीं होगा। उन्होंने भी वक़्फ़ संशोधन विधेयक को खारिज करते हुए कहा कि हमारे देश में इसकी कोई जरूरत नहीं है, वर्तमान में जो कानून मौजूद है वही बेहतर है। सम्मेलन में सर्वसम्मति से वक़्फ़ संशोधन विधेयक, समान नागरिक संहिता, मदरसों के संरक्षण और फिलीस्तीन के मुसलमान पर हो जुल्म के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया।