TAASIR :–NEERAJ – 16, Dec
भारत में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) या थोक मुद्रास्फीति दर नवंबर में घटकर 1.89 प्रतिशत रह गई है, जो कि अक्टूबर में 2.36 प्रतिशत थी। इसकी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आना है। यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को दी गई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य महंगाई दर नवंबर में 8.29 प्रतिशत पर रही है, जो कि अक्टूबर में 11.59 प्रतिशत थी। इसकी वजह सब्जियों में महंगाई दर का कम होना है। नवंबर में प्याज में महंगाई दर अक्टूबर के 39.25 प्रतिशत के मुकाबले 2.85 प्रतिशत रही है। बीते महीने ईंधन की कीमतों में महंगाई दर -5.83 प्रतिशत थी। इसके कारण थोक महंगाई की रफ्तार में कमी आई है। थोक महंगाई दर का खुदरा महंगाई दर से सीधा संबंध होता है। थोक महंगाई दर में कमी आने का असर खुदरा कीमतों पर भी होता है। पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत की खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति या खुदरा महंगाई दर नवंबर में घटकर 5.48 प्रतिशत रह गई। इसमें कमी आने की वजह महीने के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि कम हुई। खुदरा महंगाई दर में कमी लगातार दो महीने की बढ़त के बाद देखने को मिली थी। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। अक्टूबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा तय किए गए महंगाई के बैंड 2 से 6 प्रतिशत के ऊपर निकलने के बाद एक बार फिर से खुदरा मुद्रास्फीति काबू में आ गई है। आरबीआई द्वारा महंगाई के 4 प्रतिशत से नीचे आने का इंतजार किया जा रहा है, जिससे ब्याज दरों में कटौती कर वृद्धि दर को बढ़ाया जा सके। आरबीआई ने दिसंबर 2024 की मौद्रिक नीति में वृद्धि दर और महंगाई में बैलेंस रखते हुए कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) में 0.50 प्रतिशत की कटौती की थी, जिससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता में इजाफा हुआ है।