​रूस में 09 दिसंबर को राजनाथ सौंपेंगे भारत को समुद्र का नया प्रहरी ‘तुशील’

– रूसी शिपयार्ड में भारतीय टीम की निगरानी में हुआ स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट का निर्माण

नई दिल्ली, 06 दिसंबर 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 09 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में भारत को समुद्र का नया प्रहरी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तुशील’ सौंपेंगे। कमीशनिंग के बाद आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े कमान के तहत ‘स्वॉर्ड आर्म’ का हिस्सा होगा और दुनिया में सबसे अधिक तकनीकी रूप से उन्नत फ्रिगेट में शुमार हो जाएगा। यह न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती समुद्री क्षमताओं का प्रतीक है, बल्कि भारत-रूस साझेदारी का प्रमाण भी है।

नौसेना के मुताबिक आईएनएस तुशील परियोजना के लिए मास्को स्थित भारतीय दूतावास के तत्वावधान में अक्टूबर, 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसी परियोजना के छह जहाज पहले से ही भारतीय नौसेना की सेवा में हैं। इनमें से तलवार श्रेणी के तीन जहाज़ों का निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में हुआ है, जबकि तीन अनुवर्ती टेग श्रेणी के जहाज कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में निर्मित हैं। आईएनएस तुशील इस शृंखला का सातवां जहाज है, जिसके लिए कलिनिनग्राद में तैनात युद्धपोत निगरानी दल के विशेषज्ञों की एक भारतीय टीम ने जहाज के निर्माण की बारीकी से निगरानी की।

यह युद्धपोत निर्माण के बाद इस साल जनवरी से शुरू हुए कई व्यापक परीक्षणों से गुज़रा है, जिसमें फ़ैक्टरी सी ट्रायल, स्टेट कमेटी ट्रायल और अंत में भारतीय विशेषज्ञों की एक टीम के डिलीवरी स्वीकृति परीक्षण शामिल थे। इस दौरान जहाज पर लगे सभी रूसी उपकरणों का परीक्षण किया गया, जिसमें हथियार फायरिंग भी शामिल थी। परीक्षणों के दौरान जहाज ने 30 नॉटिकल से ज्यादा की गति दर्ज की। इन सफल परीक्षणों के बाद भारतीय नौसेना 09 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राद में अपने नवीनतम बहु भूमिका वाले स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशील को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके बाद यह जहाज युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा।

नौसेना के कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि जहाज के नाम ‘तुशील’ का अर्थ ‘रक्षक कवच’ और इसका शिखर ‘अभेद्य कवच’ का प्रतिनिधित्व करता है। अपने आदर्श वाक्य ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’ (निडर, अदम्य, दृढ़) के साथ यह जहाज देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा के लिए भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह 125 मीटर लंबा, 3900 टन वजनी जहाज रूसी और भारतीय अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है। भारतीय नौसैनिक विशेषज्ञों के सहयोग से जहाज की स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। इसके निर्माण में भारतीय ओईएम ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, टाटा से नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कोम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया शामिल थे।