राज्य में दिन-प्रतिदिन कमजोर हो रहे भाकपा माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठन

रांची, 01 दिसंबर 

झारखंड में भाकपा माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठन दिन-प्रतिदिन कमजोर होते जा रहे हैं। हाल के दिनों में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में झारखंड में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।

पिछले 59 महीने (चार साल 11 महीने) की बात करें तो राज्य के अलग-अलग जिलों में भाकपा माओवादी संगठन और छोटे-छोटे संगठन से जुड़े कुल 64 नक्सली मारे गये। इस दौरान 620 बड़े नक्सली गिरफ्तार भी हुए। नक्सलियों के साथ इस लड़ाई में सुरक्षाबलों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। इन चार साल 11 महीने में नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में 18 जवान भी शहीद हुए हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा नक्सल प्रभावित जिले हैं। इनमें पश्चिमी सिंहभूम को अति नक्सल प्रभावित जिले की सूची में रखा गया है जबकि शेष चार नक्सल प्रभाव वाले जिले गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा जिला आफ कंर्सन (डीओसी) की सूची में हैं।

राज्य में नक्सलियों के 11 दस्ते सक्रिय

– चाईबासा जिले के जराइकेला और टोंटो थाना क्षेत्र में मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी, सिंगरई, अजय महतो का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में 65 नक्सली कैडर शामिल हैं।

– चाईबासा जिले के गोइल केरा और सोनूवा थाना क्षेत्र में मेहनत और अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में 30 नक्सली कैडर शामिल हैं।

– बोकारो जिले में विवेक और रघुनाथ का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में 23 नक्सली कैडर शामिल हैं।

– लातेहार जिले के चंदवा थाना क्षेत्र में रविंद्र गंझू का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में पांच नक्सली कैडर शामिल हैं।

– चतरा जिले के लावालौंग थाना क्षेत्र में मनोहर गंझू का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में तीन नक्सली कैडर शामिल हैं।

– पलामू जिले के मोहम्मदगंज और हैदरनगर थाना क्षेत्र में नितेश यादव का दस्ता सक्रिय है। इस दस्ते में छह नक्सली कैडर शामिल हैं।

टीपीसी, जेजेएमपी और पीएलएफआई पुलिस के रडार पर

टीपीसी, जेजेएमपी और पीएलएफआई झारखंड पुलिस के रडार पर हैं। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने रविवार को बताया कि झारखंड में नक्सलवाद की समस्या 95 प्रतिशत खत्म हो चुकी है। फिलहाल, हमारे लिए नक्सलियों के छोटे संगठन (स्प्लिंटर ग्रुप) का सफाया करना बेहद जरूरी है। झारखंड के कुछ जिलों में पिछले दो महीने के दौरान नक्सलियों के स्प्लिंटर ग्रुप के जरिये कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया है। छोटे-छोटे समूह में तब्दील होकर स्प्लिंटर ग्रुप आगजनी के साथ-साथ व्हाट्सएप कॉल कर कारोबारियों से रंगदारी की डिमांड कर रहे हैं।

डीजीपी ने बताया कि कुछ आपराधिक गिरोह के साथ-साथ टीपीसी, पीएलएफआई, जेजेएमपी और भाकपा माओवादियों के छोटे ग्रुप एक्टिव हैं। ऐसे नक्सलियों के जरिये कुछ घटनाओं को जरूर अंजाम दिया गया है लेकिन पिछले एक साल के दौरान उनके संगठन के अधिकांश बड़े उग्रवादी या तो मारे गए या फिर पकड़े गए लेकिन इन संगठनों के कुछ स्प्लिंटर ग्रुप बचे हुए हैं, जिन पर कार्रवाई की जा रही है।

स्प्लिंटर ग्रुप में शामिल नक्सली छोटे हथियार के साथ सिविल ड्रेस में वारदात को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे नक्सलियों की लिस्ट तैयार की गई है। साथ ही उनके समर्थकों को भी चिह्नित किया गया है, जो उनके लिए मोबाइल सहित दूसरे समान उपलब्ध करवाते हैं। सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश दिया गया है कि वह एक टीम बनाकर ऐसे स्प्लिंटर्स ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करें। खासकर पलामू आईजी को कड़ा निर्देश जारी किया गया है कि न सिर्फ कार्रवाई करें, बल्कि फरार उग्रवादियों और अपराधियों के खिलाफ जमकर कुर्की-जब्ती की कार्रवाई करें।