रामनवमी छह अप्रैल को, राममय हुई रांची

रांची, 29 मार्च 

इस वर्ष रामनवमी पूजा का आयोजन छह अप्रैल को राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। रामनवमी को लेकर रांची के विभिन्न धार्मिक संगठन और अखाड़ों की ओर से तैयारियां जोरों पर है। राजधानी रांची अभी से राममय हाे गई है। रांची के सभी गली-मुहल्ले महावीरी झंडे से पट गए हैं। मुहल्लों में युवाओं का संगठन छोटी-छोटी टुकड़ियाें में बंटकर तैयारियों में रात-दिन जुटे हैं। रामनवमी के दिन निकलनेवाली झांकी और युवाओं की ओर से तलवार, डंडा सहित अन्य आत्मरक्षा की चीजों से प्रदर्शित किए जानेवाले कौशल की तैयारियां भी चल रही हैं।

मंगलवार को निकलता है मंगलवारी जुलूस

रामनवमी के पूर्व विभिन्न अखाड़ों की ओर से मंगलवार की रात में जुलूस निकाला जाता है जिसमें उत्साही युवा विभिन्न प्रकार के करतबाें का प्रदर्शन करते हैं। जुलूस निकालने का क्रम रामनवमी तक चलता है।

रांची में रामनवमी पर्व का इतिहास

रांची में रामनवमी के पर्व का इतिहास बेहद पुराना है। रांची में महावीर मंडल की स्थापना वर्ष 1929 में हुई थी। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री महावीर मंडल, केंद्रीय समिति, रांची के अध्यक्ष जय सिंह यादव कहते हैं कि अंग्रेजी शासन में महावीरी झंडा उठाने वालों को लाइसेंस दिया जाता था। उस समय से चल रही परंपरा अब तक बरकरार है। मौजूदा समय में रांची में 56 लाइसेंसी अखाड़ाधारी हैं। वहीं गैर लाइसेंस प्राप्त अखाड़ों की संख्या 1665 है।

हर मुहल्लों में है महावीर मंडल

रांची के हर मुहल्ले में महावीर मंडल नाम से संगठन बना हुआ है जो रामनवमी के दिन अपर बाजार स्थित महावीर चौक‍ के पास स्थित महावीर मंदिर में झंडे की पूजा अर्चना कर अखाड़ाधारी मेन रोड होते हुए निवारणपुर पहुंचते हैं। जुलूस में शामिल युवा लाठी-डंडे से आत्मरक्षा का प्रदर्शन करते हुए जय श्री राम और बजरंगबली का नारा लगाते हुए निवारणपुर स्थित भगवान श्री राम की अति प्राचीन तपोवन मंदिर पहुंचते हैं, जहां मंदिर के महंथ महावीरी झंडे का पूजन करते हैं। यहां पर सबसे बड़े झंडे वाले अखाड़ा के पदाधिकारियों को तलवार भेंट कर सम्मानित किया जाता है। इसके बाद सभी अखाड़ाधारी अपना-अपना झंडा लिए वहां से देर रात को अपने गंतव्य की ओर लौटते हैं।

महावीर मंडल बांट रहा लाठी और तलवार

रामनवमी के पूर्व महावीर मंडल, केंद्रीय समिति के पदाधिकारी इन दिनों रांची जिले के विभिन्न अखाड़ों का भ्रमण कर रहे हैं और अखाड़ा के सदस्यों में लाठी और तलवार का वितरण कर रहे हैं।

बदल रहा रामनवमी का स्वरूप

रांची में रामनवमी का स्वरूप भी समय के साथ बदल रहा है। पूर्व में जहां रामनवमी के जुलूस और शोभायात्राओं में ढ़ोल और नगाड़ों की मधुर धुन सुनाई देती थी, लेकिन अब उसकी जगह कई जगहों पर डीजे की शाेर सुनाई देती है। इसपर महावीर मंडल के केंद्रीय अध्यक्ष जय सिंह यादव भी कहते हैं कि उन्होंंने विभिन्न अखाड़ों से डीजे की जगह ढोल और नगाड़ों का उपयोग करने का आग्रह किया है। उन्होंंने कहा कि हमें अपनी प्राचीन परंपरा को जीवित रखने की जरूरत है।