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गोवा में एचएडीआर ‘चक्रवात’ अभ्यास शुरू, हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देश भी शामिल
– जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी आपदाओं से मुकाबले को सिस्टम बनाने पर रहेगा जोर
– मानवीय सहायता और आपदा राहत संचालन में भारतीय नौसेना की रही है अहम भूमिका
नई दिल्ली, 09 अक्टूबर
भारत की नौसेना और वायु सेना ने सोमवार से हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के आठ देशों के साथ गोवा में वार्षिक संयुक्त एचएडीआर अभ्यास ‘चक्रवात’ शुरू किया है। जलवायु परिवर्तन के कारण आईओआर में प्राकृतिक आपदाओं के प्रति काफी संवेदनशीलता बढ़ी है। इसलिए इस अभ्यास के दौरान मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सामूहिक और समन्वित प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने पर जोर दिया जायेगा।
भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना ने यह संयुक्त अभ्यास 2016 से शुरू किया था। इसके बाद से दोनों सेनाएं बारी-बारी से इस वार्षिक अभ्यास का आयोजन कर रही हैं। अभ्यास का अंतिम संस्करण वायु सेना ने पिछले साल आगरा में आयोजित किया था। इस बार नौसेना की बारी थी, तो आज से यह अभ्यास गोवा में भारतीय नौसेना ने शुरू किया है, जो 11 अक्टूबर तक चलेगा। वार्षिक संयुक्त एचएडीआर अभ्यास ‘चक्रवात’ ने खुद को एक बहु-एजेंसी प्रयास में बदल दिया है, इसलिए इस वर्ष के अभ्यास के लोगो में सभी भाग लेने वाली एजेंसियों और सभी देशों के झंडों को दर्शाया गया है।
इस अभ्यास में हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों की भी भागीदारी दिखेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय आईओआर राज्यों में तेजी से बढ़ते खतरे से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों को सहायता के लिए अक्सर बुलाया जाता रहा है। भारत की तीनों सेनाएं किसी भी आपदा की स्थिति में राहत और सहायता प्रदान करती हैं, इसलिए अभ्यास का मुख्य मकसद मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सामूहिक और समन्वित प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना है। मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन में भारतीय नौसेना की अहम भूमिका है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन से आईओआर में प्राकृतिक आपदाओं की संवेदनशीलता में काफी वृद्धि हुई है।
गोवा के तट पर तीन दिनों के इस अभ्यास में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम), भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, तटरक्षक बल, भारतीय सेना की भागीदारी देखी जाएगी। इसके अलावा मेट्रोलॉजिकल विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसियां, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, केंद्रीय जल आयोग, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के साथ ही मित्र देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं।