पूर्व डीजीपी एसके सिंघल पर होगी कार्रवाई बिहार पुलिस सिपाही भर्ती पेपर लीक में बुरे फंसे, ईओयू ने पाया ‘दोषी’

TAASIR :–NEERAJ -13  SEPT

बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक मामले में पूर्व डीजीपी (पुलिस निदेशक) एसके सिंघल की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. उन पर परीक्षा के दौरान लापरवाही और नियमों की अनदेखी का आरोप लगा है. इस मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजी ने केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी एसके सिंघल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा की है. एडीजी ने इस संबंध में डीजीपी को पत्र भेजा है. दरअसल, 2023 की शुरुआत में बिहार पुलिस कांस्टेबल के कुल 21,391 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 1/2023 अधिसूचना जारी की गई थी. इसकी लिखित परीक्षा 1 अक्टूबर 2023 को दो पालियों में हुई थी. परीक्षा से पहले ही पेपर और उत्तर सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर वायरल हो गए थे. इसे लेकर विभिन्न जिलों में 74 मामले दर्ज किए गए थे. बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने 31 अक्टूबर को पहली बार एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों की अध्यक्षता में विशेष जांच दल का गठन किया गया था। अब इस दल ने कांस्टेबल भर्ती पेपर लीक की जांच लगभग पूरी कर ली है। जांच दल ने पाया कि काउंसिल अध्यक्ष ने लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों और मानकों की भी अनदेखी की। उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन नहीं किया। इसके चलते एक संगठित गिरोह ने योजनाबद्ध तरीके से पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं मिला। एसआईटी का मानना है कि एसके सिंघल द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की पवित्रता भंग हुई है। परीक्षा की कस्टडी चेन की गोपनीयता और अखंडता बनाए रखने के लिए तय मानकों की अनदेखी की गई है। इसके चलते पेपर लीक हुआ। इसलिए उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। इस अनुशंसा के मद्देनजर अब वर्तमान डीजीपी और राज्य सरकार को निर्णय लेना है। आपको बता दें कि 28 मार्च 2023 को कांस्टेबल भर्ती पेपर की छपाई और अन्य गोपनीय कार्य की जिम्मेदारी कोलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को सौंपी गई थी, जबकि इस कंपनी के पास सिर्फ 2 साल का अनुभव है। इस फर्जी कंपनी के डायरेक्टर और आरोपी संजय दास का पहले से ही एक अन्य कंपनी ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एग्रीमेंट था। जब एसके सिंघल से इन दोनों कंपनियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इन दोनों कंपनियों के बीच एग्रीमेंट के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। ईओयू ने पेपर लीक मामले की जांच के दौरान एसके सिंघल से तीन से चार बार पूछताछ भी की थी।