कोलकाता, 08 अक्टूबर
कोलकाता के एक बस सिंडिकेट के पदाधिकारी ने 15 साल पुराने बसों के लिए दो साल की छूट की मांग करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान हुए नुकसान का हवाला देते हुए इन बसों को चलाने की अनुमति देने की गुहार लगाई है।
संयुक्त बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी, जो 15 साल पुरानी बसों के मालिक भी हैं, ने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा उनकी समस्या पर ध्यान न दिए जाने से कई मार्गों पर बसों की संख्या और घट सकती है। बनर्जी ने कहा कि हमने पहले राज्य सरकार से 15 साल पूरे कर चुकी बसों और मिनी बसों के लिए दो साल का समय देने की अपील की थी, क्योंकि 2020 से 2021 के बीच कोरोना महामारी के दौरान बस संचालकों को काफी नुकसान हुआ था। जब इस अनुरोध को मान्यता नहीं मिली, तो हम मजबूरी में हाई कोर्ट की शरण में गए हैं।
बनर्जी, जो मुकुंदपुर से हावड़ा तक चलने वाले रूट नंबर 24 के अध्यक्ष भी हैं, ने 24 सितंबर को इस संबंध में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की थी, जिसे चार अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। उन्होंने कहा, “हालांकि हम एक विशेष बस सिंडिकेट के लिए कोर्ट में गए हैं, लेकिन हम अन्य सभी निजी बस संचालकों की चिंताओं को भी आवाज दे रहे हैं, जो इसी समस्या का सामना कर रहे हैं।”
बनर्जी ने यह भी बताया कि पिछले चार वर्षों में कई जिलों के विभिन्न मार्गों पर बसों की संख्या औसतन 100 से घटकर केवल 20-30 तक रह गई है। एक अगस्त, 2009 को कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद 15 साल की आयु पूरी कर चुकी व्यावसायिक वाहनों को कोलकाता महानगर क्षेत्र (केएमए) में चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसमें कोलकाता और हावड़ा के अलावा आसपास के जिलों के कुछ हिस्से भी शामिल हैं। यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से उठाया गया था।
बनर्जी ने कहा कि बस किराए में आखिरी बार 2018 में बढ़ोतरी की गई थी, जबकि उसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें कई बार बढ़ चुकी हैं। एक अन्य बस सिंडिकेट अधिकारी ने बताया कि 2009 से पहले कोलकाता महानगर क्षेत्र में लगभग सात हजार बसें चलती थीं, जिनकी संख्या 2024 तक घटकर तीन हजार रह गई हैं