छत्तीसगढ़ में हाथ‍ियों के हमले में दो मासूम की मौत, माता-प‍िता और तीन बच्‍चों ने भागकर बचाई जान

सूरजपुर, 10 नवंबर 

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के प्रेमनगर क्षेत्र में जंगली हाथियाें के हमले में दो मासूम बच्चों की जान चली गई जबकि बच्‍चों के माता-प‍िता और तीन बच्‍चे भागने में सफल रहे। यह घटना उस समय हुई जब पहाड़ पर झोपड़ी बनाकर रहने वाला यह परिवार सो रहा था। शन‍िवार की रात्र‍ि करीब दो बजे अचानक हुए हमले में माता-पिता ने तीन बच्चाें के साथ किसी तरह से भागकर अपनी जान बचाई, लेकिन वे दो बच्चों को नहीं बचा सके।

प्रेमनगर के महेशपुर के आश्रित गांव चितखई में हाथियों के एक दल ने पंडो जनजाति के दो बच्चों को कुचलकर मार डाला। उस समय बिखू पंडो अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ झोपड़ी में सो रहे थे। रात करीब दो बजे, हाथियों का दल अचानक परिवार की झोपड़ी में घुस गया और झोपड़ी को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। इस दौरान पंडो परिवार के पति-पत्नी और तीन बच्चे देव स‍िंह 6 वर्ष, ड‍िशू पंडो 11 वर्ष व काजल पांच वर्ष किसी तरह भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन दो छोटे बच्चे बिसू (11 वर्ष) और काजल (5 वर्ष) गहरी नींद में सो रहे थे और भाग नहीं सके। हाथियों ने दोनों बच्चों को पटक-पटककर मार डाला। दोनों बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई।

इन हाथियों ने न केवल बच्चों को मारा, बल्कि झोपड़ी में रखे अनाज को भी खा लिया। परिवार के सदस्य किसी तरह से गांव पहुंचे और रात वहीं बिताई। रविवार सुबह होते ही वे घटनास्थल पर पहुंचे, तो देखा कि झोपड़ी पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी थी और दोनों बच्चों की लाशें पास में पड़ी हुई थीं। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। डीएफओ आरआर पैकरा, फॉरेस्ट एसडीओ अनिल सिंह, और प्रेमनगर रेंजर रामचंद्र प्रजापति समेत वन अमला घटनास्थल पर पहुंचा। दाेनाें मासूम के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

ग्रामीणाें के अनुसार हाथियों का दल पिछले कुछ दिनों से प्रेमनगर क्षेत्र के बिरंचीबाबा जंगल में मौजूद था और आसपास के इलाकों में विचरण कर रहा था। वन विभाग के अधिकारी का कहना है कि हाथियों की निगरानी में लगे दल ने पंडो परिवार को हाथियों की मौजूदगी से पूरी तरह से सतर्क नहीं किया था, जिसके कारण यह दुखद घटना घटी। प्रेमनगर क्षेत्र के आसपास के गांवों में हाथियों के हमले को लेकर दहशत फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों की संख्या बढ़ने के कारण उनका जीवन संकट में है। घटना के बाद वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पीड़ित परिवार को तात्कालिक मुआवजा राशि 25-25 हजार रुपये उपलब्ध कराई है। इस हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है।