1095 दिन की तैयारी, देश की दो बेटियां रचेंगी इतिहास, नाविका सागर परिक्रमा पार्ट-1 में किया था कमाल

                                                TAASIR :–NEERAJ -16 SEPT 

भारत की वो महिला जो कभी घर के अंदर ही सीमित रहती थी, पढ़ने-लिखने को उसका काम नहीं समझा जाता था, आज वो भारतीय महिला पूरी दुनिया में परचम लहरा रही हैं, आज वो किसी चीज में पीछे नहीं है. हां, यहां मैं , यह नहीं कहूंगी कि अब वो पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर वो चल रही हैं, बल्कि मैं यह कहूंगी कि वो हमेशा से पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही थी, लेकिन दिखाई आज दे रही है. खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने आज से इतने साल पहले मैदान में अंग्रेजों से मुकाबला किया था, इसीलिए यह कहना गलत होगा कि महिलाएं आज सरहदों पर पहली बार खड़ी हैं, बल्कि वो हमेशा से हर सरहद पर मुकाबला करती रही हैं, हां कभी-कभी यह सरहद और यह जंग कई अलग-अलग तरह की होती हैं, लेकिन मुकाबला सभी महिलाएं कर रही हैं. साल 2017 में जिस तरह 6 महिलाओं के ग्रुप ने “नाविका सागर परिक्रमा” मिशन के तहत समुद्री यात्रा की थी और हर तूफान, बदलता मौसद, तेज लहरें हर तरह की चुनौती का सामना किया था, वो एक बार फिर से होने जा रहा है और इस बार दो महिला अधिकारी यह इतिहास रचेंगी. भारतीय नौसेना की दो महिला अधिकारी पूरे तीन साल की मेहनत, तैयारी और मकसद के साथ दुनिया भर में मिशन पर निकलेंगी, जहां वो पूरी दुनिया का समुंद्री चक्कर लगाएंगी. लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के यह इतिहास रचने वाली हैं. इस मिशन के लिए इन दोनों महिलाओं ने दिन-रात पूरे 3 साल यानी 1 हजार 95 दिन तैयारी की हैं, जिसके बाद अब यह अपने हौसले की नैया को पार लगाने के लिए तैयार हैं. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है कि भारतीय महिलाएं नारी शक्ति का परचम बुलंद कर रही हो, बल्कि इससे पहले साल 2017 में “नाविका सागर परिक्रमा” पर 6 महिलाएं पूरे 254 दिन बाद समुद्री यात्रा पर रही थी. नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने रविवार को इस समुद्री यात्रा का ऐलान करते हुए कहा, दोनों भारतीय नौसेना के जहाज (आईएनएसवी) तारिणी पर सवार होकर दुनिया का चक्कर लगाने का अभियान शुरू करेंगी. इस मिशन का नाम नाविका सागर परिक्रमाII रखा गया है, इसी के तहत एक बार फिर भारतीय नौसेना दो महिलाओं को दुनिया का चक्कर लगाने के लिए भेजने के लिए तैयार हैं. कमांडर मधवाल ने कहा, “सागर परिक्रमा एक मुश्किल यात्रा होगी जिसमें शारीरिक फिटनेस और सतर्कता की जरूरत होगी और इसी के साथ इस मिशन में जो चीज अधिकारियों के लिए फ्यूल का काम करेगी वो होगा उनका हौसला, हिम्मत, जुनून और मेहनत, जिसके बल पर ही वो इस मिशन को पूरा कर सफल होकर वापस लौटेंगी. किसी भी चीज की तैयारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आपका कोच कौन हैं, आपका गुरु कौन हैं. एक बेहतर कोच बेहतरीन टीम को तैयार करता है और इसी को ध्यान में रखते हुए नौसेना ने ‘गोल्डन ग्लोब रेस’ के हीरो, कमांडर अभिलाष टॉमी (रिटायर) को चुना, उन्हीं की देखरेख में इन महिलाओं ने ट्रेनिंग ली और मिशन की तैयारी की. इस समय आपके मन में जो सवाल सबसे ज्यादा उछल रहा होगा वो यहीं होगा कि यह दोनों महिला अधिकारी कौन हैं. यह दोनों ही महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के काफी यंग हैं. कम उम्र में ही इन्होंने काफी अनुभव हासिल किया और एक के बाद एक इतिहास रचा. इनके कारनामों और कामयाबी की कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं कि यह समुद्री चक्कर लगाने जा रही हैं, बल्कि यह समय-समय पर इतिहास रचती रही हैं और मिसाल बनती रही हैं. लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के केरला के कोड़िकोड की रहने वाली हैं. उन्हें साल 2014 में जून के महीने में भारतीय नौसेना में नियुक्त किया गया था. पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए ही उन्होंने देश के लिए सेवाएं देने को ही अपना लक्ष्य बनाया, उनके पिता देवदासन ने भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी थी और अब दिलना पिता के ही दिखाए हुए रास्ते पर चल रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं. लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए पुडुचेरी की रहने वाली हैं, कमांडर रूपा जून 2017 में नौसेना में शामिल हुईं, रूपा ने भी पिता के ही नक्शे कदम पर चलना पसंद किया और नौसेना को अपनी मंजिल बनाया. उनके पिता, अलागिरीसामी जीपी, भारतीय वायु सेना का हिस्सा थे. इस जोड़ी ने कई इतिहास रचे हैं और कई बार नारी शक्ति का झंडा बुलंद किया है. इन दोनों महिलाओं ने ज्यादातर मिशन साथ में किए हैं. छह लोगों के दल के रूप में अधिकारियों ने गोवा से मॉरीशस तक यात्रा की और साल 2022 में वापस लौटे. पिछले साल यह दोनों 6 सदस्यीय क्रू के साथ Trans-Oceanic Expedition में शामिल हुई थी. इस मिशन में वो गोवा से केप टाउन के रास्ते होते हुए रियो डी जनेरियो गए थे. पूरी दुनिया की समुद्री यात्रा की तैयारी के बीच ही इन दोनों अधिकारियों ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया था. इसी साल फरवरी के महीने में अधिकारियों ने गोवा से पोर्ट ब्लेयर तक डबल हैंड मोड में अभियान चलाया, जिसके बाद अब यह दोनों महिलाएं एक बार फिर कमाल करने जा रही हैं.