नई दिल्ली, 13 दिसंबर
सुप्रीम कोर्ट ने कैश फॉर जॉब घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को जमानत तो दी है, लेकिन अभी वे तुंरत रिहा नहीं होंगे। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को पार्थ चटर्जी के खिलाफ ट्रायल में तेजी लाने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा कि वो पार्थ चटर्जी के खिलाफ आरोप तय करने पर 31 दिसंबर तक फैसला ले। कोर्ट ने कहा कि आरोप तय करने और गवाहों के बयान दर्ज होने की कवायद जनवरी में पूरी कर ली जाए और इसके पूरा होते ही अधिकतम 1 फरवरी, 2025 तक पार्थ चटर्जी को जमानत पर रिहा कर दिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि जमानत मिलने के बाद पार्थ चटर्जी विधायक रह सकते हैं, पर किसी लोक सेवक के पद पर नियुक्त नहीं होंगे।
कोर्ट ने 4 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि इस मामले के ट्रायल में देरी होगी क्योंकि 183 गवाह हैं। इस मामले में पार्थ चटर्जी अधिकतम सात साल की सजा का एक तिहाई हिरासत में पहले ही काट चुके हैं। उन्होंने कहा था कि 73 वर्षीय पार्थ चटर्जी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।
ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि पार्थ चटर्जी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त थे, जिससे करीब 50 हजार अभ्यर्थी प्रभावित हुए। राजू ने कहा था कि पार्थ चटर्जी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर रिहा हुए तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
कोर्ट ने 1 अक्टूबर को ईडी को नोटिस जारी किया था। पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका इसके पहले कलकत्ता हाई कोर्ट खारिज कर चुका था। ईडी ने चटर्जी से जुड़े परिसरों से 54.88 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति जब्त की है।