हिमालय की गोद में तकनीक और साहस का अनोखा संगम

 

संतोष कुमार झा

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड

उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना स्वतंत्रता के बाद की सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। यह परियोजना इस लिहाज से भी आवश्यक है कि जम्मू-कश्मीर को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ने हेतु एक वैकल्पिक और विश्वसनीय परिवहन प्रणाली है। राज्य में निर्बाध और सुविधाजनक संपर्क सुनिश्चित करने की दृष्टि से, इस परियोजना को वर्ष 2002 में ‘राष्ट्रीय परियोजना’ घोषित किया गया।

परियोजना का एक भाग-कटड़ा से धरम खंड कि.मी.30.00 से कि.मी.72.390 और कि.मी.91 से कि.मी.101.635 तक (कुल 52.20कि.मी.) के कार्यान्वयन हेतु कोंकण रेलवे को सौंपा गया। इसमें कुल 44.59कि.मी. यानी 85.5%हिस्सा टनलों में, 4.6कि.मी. यानी 8.8%पुलों पर और शेष 5.7कि.मी. कटिंग व भराव में है। इसके अतिरिक्त, कोंकण रेलवे ने 172कि.मी. की परियोजना सड़कों का निर्माण किया, जिनमें 404 मीटर लंबी सड़क सुरंग, 138 मीटर लंबा पुल (चिनाब घाटी पर) और कई अस्थायी बैली ब्रिज शामिल हैं।

परियोजना का सामाजिकआर्थिक प्रभाव

पर्यटन को बढ़ावा: परियोजना के पूर्ण होने से देश के किसी भी हिस्से से पर्यटक आसानी से कश्मीर घाटी पहुँच सकेंगे।

शिक्षा के अवसर: राज्य के छात्रों को देशभर में बेहतर शैक्षणिक संस्थानों तक आसान पहुँच मिलेगी।

हर मौसम में संपर्क: यह रेलवे संपर्क जम्मू-कश्मीर को पूरे वर्ष देश के अन्य हिस्सों से जोड़े रखेगा, जिससे दूरस्थ क्षेत्रें का आर्थिक विकास संभव होगा।

सड़कों द्वारा पहुँच: कार्यस्थलों तक पहुँच के लिए 172कि.मी. सड़कों का निर्माण किया गया, जिससे कई गाँव मुख्यधारा से जुड़ सकेंगे।

टनल निर्माण

इस खंड में कुल 16 मुख्य टनल हैं जिनकी लंबाई 44.59कि.मी. है। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा सुरंगें, क्रॉस पैसेज और एडिट्स सहित कुल 25.12कि.मी. की अतिरिक्त सुरंगें बनाई गई हैं। टनल नं.42की लंबाई 9.274कि.मी. है। सुरंगों के निर्माण में ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम)’ और पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया गया है।

चिनाब ब्रिज

यह परियोजना चिनाब नदी पर बनी है और यह सलाल जलविद्युत परियोजना के पास स्थित है। इस कारण चिनाब नदी पर एक मेगा पुल के निर्माण की आवश्यकता पड़ी। चिनाब ब्रिज नदी तल से 359 मीटर ऊँचाई पर स्थित है और इसकी मुख्य आर्च की लंबाई 467 मीटर है, जो दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज है। यह प्रतिष्ठित पुल चिनाब नदी के तल से 359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टावर से 35 मीटर अधिक ऊँचा है।

चिनाब ब्रिज की कुल लंबाई 1,315 मीटर है, जिसमें कुल 17 स्पैन लगे हैं। इनमें मुख्य आर्च स्पैन की लंबाई 467 मीटर है, जो चिनाब नदी को पार करता है। वायाडक्ट भाग में सीधा और घुमावदार भाग शामिल है। इसका घुमावदार भाग 2.74 डिग्री के तीव्र मोड़ पर है। वायाडक्ट के इस घुमावदार भाग को एंड-ऑन लॉन्चिंग तकनीक से लॉन्चिंग नोज का उपयोग कर स्थापित किया गया। भारत में पहली बार इस तकनीक का उपयोग घुमाव पर सफलतापूर्वक किया गया है, जिसके लिए यूएसबीआरएल टीम विशेष प्रशंसा की पात्र है। इस वायाडक्ट के सुपर स्ट्रक्चर की फैब्रिकेशन का कार्य साइट पर एक तकनीकी रूप से उन्नत और अत्यधिक कुशल वर्कशॉप की स्थापना कर किया गया।

अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है।

 

प्रमुख विशेषताएँ

  • दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज, जो नदी तल से 359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • केबल क्रेन असेंबली, जिसमें पैलोन सहित 915 मीटर का स्पैन है, दुनिया में सबसे लंबा है। 127 मीटर ऊँचा पैलोन, कुतुब मीनार से 72 मीटर ऊँचा है।
  • दुनिया में पहली बार, इस पुल को ब्लास्ट लोड (विस्फोट भार) के लिए डिजाइन किया गया है, जो डीआरडीओ के साथ परामर्श में तैयार किया गया है।
  • डिजाइन में अतिरिक्त संरचनात्मक सुरक्षा रखी गई है।
  • यदि कोई एक पियर/ट्रेसल हटाया जाए तब भी पुल स्थिर रहेगा।
  • पुल ध्वस्त नहीं होगा और 30कि.मी./घंटा की गति से संचालित रह सकता है।
  • देश में पहली बार, 2.74 डिग्री के घुमाव पर स्थित पुल के हिस्से में प्लेट गर्डर को एक सिरे से पुश कर लॉन्च किया गया है। घुमावदार हिस्से की कुल लंबाई 268मीटर है।
  • भारतीय रेल पर पहली बार, पुलों में वेल्डिंग की जाँच के लिए फेज्ड एरे अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मशीन का उपयोग किया गया है।
  • S-40 फाउंडेशन पर 855 मीटर ऊँचा स्टील पियर, जो देश का सबसे ऊँचा संरचनात्मक स्टील पियर है।

अंजी ब्रिज

अंजी खड्डपुल एक केबल-स्टे ब्रिज है, जो कटड़ा और रियासी सेक्शन को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना में जोड़ता है। यह भारतीय रेल पर निर्मित पहला केबल-स्टे ब्रिज है। अंजी पुल मुख्य रूप से निम्नलिखत भागों से मिलकर बना है। मुख्य पुल, जिसकी लंबाई 473.25 मीटर है, सहायक वायाडक्ट जिसकी लंबाई 120 मीटर है। सेंट्रल एम्बैंकमेंट, जो मुख्य पुल और सहायक वायाडक्ट के बीच स्थित है ।

 जिसकी लंबाई 64.25 मीटर है। इस पुल की खास विशेषता इसका मुख्य स्पैन (290 मीटर लंबा) और 193 मीटर ऊँचाई वाला पायलन है, जो वेल कैप के ऊपर है। यह पायलन उल्टे Y आकार में बना है और नदी तल से इसकी ऊँचाई 331 मीटर है। पुल को 96 केबल्स और एकल पायलन द्वारा सहारा दिया गया है जो रियासी छोर पर स्थित है।

इस पुल का डिजाइन इटली की परामर्शदाता कंपनी M/s Italfer द्वारा तैयार किया गया है।

भारी सामग्रियों को स्थानांतरित करने हेतु कोंकण रेलवे (केआरसीएल) ने धमकुंड में रामबन-गूल राज्य मार्ग पर चिनाब नदी पर 138 मीटर लंबा एक सड़क पुल बनाया। यह पुल संगलदान, गूल, महौर, अर्नास, कंथन और रियासी जैसे आसपास के गांवों को जोड़ता है। सड़क मार्ग के कार्य की प्रगति बढ़ाने और अतिरिक्त कार्य मोर्चे उपलब्ध कराने के लिए, 260 मीट्रिक टन से अधिक की मशीनरी जैसे: एक्सकेवेटर, ट्विन ड्रिलिंग जम्बो, रोड रोलर, डोजर, डंपर, शॉटक्रिट मशीन, कंक्रीट मिक्सर, जनरेटर आदि को भारतीय वायु सेना के विश्व के सबसे बड़े मालवाहक हेलीकॉप्टर एमआई-26 द्वारा 21 बार उड़ान भरकर स्थानांतरित किया गया। इसके लिए सुरुकोट गांव में एक हेलीपैड का निर्माण केवल हाथ के औजारों से मैन्युअल रूप से किया गया, क्योंकि वहाँ तक कोई वाहन पहुँच नहीं सकता था।

कोंकण रेलवे हमेशा राष्ट्र की प्रगति और विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।