दिल्ली हिंसा : दिल्ली पुलिस की लिखित दलीलें दाखिल, उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला 28 मई को

नई दिल्ली, 13 मई

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेई ने दिल्ली हिंसा मामले के आरोपित उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने 28 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया। आज दिल्ली पुलिस की ओर से लिखित दलीलें दाखिल की गईं।

इसके पहले 10 मई को उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदीप पेस ने 45 पेजों की लिखित दलीलें दाखिल की थीं। सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से त्रिदिप पेस ने कहा था कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उमर खालिद के नाम का प्रयोग इस तरह से कर रही है, जैसे कोई मंत्र हो। पेस ने कहा था कि चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया। पेस ने कहा था कि जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा। उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की।

पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपितों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे जमानत नहीं दी जा सकती है। सुनवाई के दौरान पेस ने कहा था कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया। उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है। पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि उमर खालिद ने गुप्त बैठकें की।

उन्होंने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले। अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है। उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है। सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपित दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। उन्होंने कहा था कि हाई कोर्ट ने सेशंस कोर्ट के जमानत खारिज करने के फैसले पर पूरी सहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि जमानत पर विचार करते समय सभी तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए। अमित प्रसाद ने कहा था कि उमर खालिद की ओर से जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये नहीं कहा जा सकता है कि जांच में कई गड़बड़ियां हैं। ये आरोप मुक्त करने की याचिका नहीं है।

इस मामले में उमर खालिद की ओर से कहा गया था कि इस मामले के दूसरे आरोपितों के खिलाफ हमसे गंभीर आरोप हैं और वे जमानत पर हैं और उन्हें तो दिल्ली पुलिस ने आरोपित भी नहीं बनाया था। उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदीप पेस ने कहा था कि जिन तथ्यों के आधार पर तीन आरोपितों को जमानत दी गई, वही तथ्य उमर खालिद के साथ भी हैं। उन्होंने समानता के सिद्धांत की बात करते हुए उमर खालिद को जमानत देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ कोई आतंकी कानून की धारा नहीं लगी है।

उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी और कहा था कि अब वे ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वो जेल में है। इससे पहले 18 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।